View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2086 | Date: 19-Apr-19971997-04-191997-04-19सागरमें उठती है कई लहरें, हर लहर को किनारा मिलता नहीSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=sagaramem-uthati-hai-kai-laharem-hara-lahara-ko-kinara-milata-nahiसागरमें उठती है कई लहरें, हर लहर को किनारा मिलता नही,
उठती है एक ही साथ कई लहरें, जिसकी गिनती सागर के पास भी नही।
उठती लहरें से ही है सागर कि सुंदरता, लहर बिना कोई बदलाव नही।
हर लहर चाहती है पाए वह किनारा, पर ऐसा सब का नसीब नही।
मझधार और किनारे के बीच के फासले को ये मिटा पाती नही।
करती है दीनरात यही कोशिश लहर, पर ये होता नहीं।
टकराती है जब आपस में ही लहरें, तो किनारे तक पहुँच पाती नही।
आपसी टकराव खत्म होने पर हो जाते है शांत, समंदर पर काफी देर तक नही।
उठी कौन-सी लहर कहाँ से, उसकी ठीक जगा कोई बता पाता नही।
पाले जो किनारा वह शांत हुए बिना रहे पाती नही।
सागरमें उठती है कई लहरें, हर लहर को किनारा मिलता नही