View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2378 | Date: 11-Mar-19981998-03-111998-03-11सुलझाना चाहा अपनी उलझनों को, पर हमें सुलझाना ना आयाSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=sulajana-chaha-apani-ulajanom-ko-para-hamem-sulajana-na-ayaसुलझाना चाहा अपनी उलझनों को, पर हमें सुलझाना ना आया,
उलझे हुए थे और भी उलझ गए, के अपनी उलझनों को सुलझाना ना आया।
गलत अंदाजा लगाया हमने जहाँ, सही जवाब हमें ना मिल पाया।
बस चलती रही जिंदगी हमारी कुछ ऐसे, के कभी कुछ खोया कभी कुछ पाया।
कभी तंग आ गए अपनेआप से, कभी ढूँढ लिया कोई बहाना।
चाहता तो बहुत, पर बचा ना पाए अपनेआप को, के बचना हमें ना आया।
कभी रूके तो कभी चले, पर मंजिलें-मुकाम तक मन हमारा पहुँच ना पाया।
कभी भावों तो कभी विचारों के बन में, अपनेआप को भटकता हमने पाया।
समझना चाहा कभी सुलझनों-उलझनों की दिशा को, पर कुछ समझ में ना आया।
रही दास्ताँ हमारी ऐसी के कभी, हमने अपनेआप को अपनाया तो कभी ठुकराया।
सुलझाना चाहा अपनी उलझनों को, पर हमें सुलझाना ना आया