View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 2806 | Date: 04-Oct-19981998-10-041998-10-04तनहाई को सह पाते है, मिलजुलकर भी रह नही पाते हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=tanahai-ko-saha-pate-hai-milajulakara-bhi-raha-nahi-pate-haiतनहाई को सह पाते है, मिलजुलकर भी रह नही पाते है,
ऐसे भी लोग है, जो किसी भी हालत में खुश रह नही पाते है ।
तोड़ना भी नही चाहते है, जोड़ना भी नही चाहते है,
ऐसे भी लोग है, जो ना इधर के, ना उधर के रहते है ।
विश्वास रख नही सकते है, शंका से भी डरने लगते है,
ऐसे भी लोग है जो कुछ तय ही नही कर पाते है ।
चाहते है प्यार सबका, पर खुद की चाहत को जान नही पाते है,
ऐसे भी लोग है, जो चाहतों पर भी रोते है ।
दर्द सह नही पाते है, दवा लेना नही चाहते है,
जिंदगी को अपनी दर्द से हम बचा नही पाते है ।
तनहाई को सह पाते है, मिलजुलकर भी रह नही पाते है