View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1164 | Date: 20-Jan-19951995-01-201995-01-20भट़क रहे हैं सबकोई यहाँ, ना जाने क्यो, पर भट़क रहेSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=bhataka-rahe-haim-sabakoi-yaham-na-jane-kyo-para-bhataka-raheभट़क रहे हैं सबकोई यहाँ, ना जाने क्यो, पर भट़क रहे,
है कौन-सी भ्रमणा जिसमें भट़क रहे हैं सब कोई यहाँ, पर भट़क रहे।
करना चाहते हैं तय सफर अपना, पर तय ना कर पाते हैं,
चल-चल के थक जाते हैं, पर मंजिल की ओर एक कदम भी बढ़ा नहीं।
मंजिल हैं कौन-सी यही, तो भूल जाते हैं,
हर वक्त नई तमन्नाओं के गुलाम बनकर वे जीते हैं।
आजादी को भूलकर, ना जाने क्यों बंदन स्वीकार लेते हैं,
मिले दर्द फिर भी, बंधन तोड़ना वह नही चाहते हैं।
अहंकार में अपने सबकुछ गवाँ वे देते हैं,
एक जिंदगी क्या, कई जिंदगी वे न्यौछावर करते रहते हैं।
भट़क रहे हैं सबकोई यहाँ, ना जाने क्यो, पर भट़क रहे