View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1107 | Date: 28-Dec-19941994-12-281994-12-28है ये किताब कैसी, कि ना पढ़ सके इसे कोईSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=hai-ye-kitaba-kaisi-ki-na-padha-sake-ise-koiहै ये किताब कैसी, कि ना पढ़ सके इसे कोई,
ना खोल सके इसे कोई, ना बंद कर सके इसे कोई।
खुदा की मेहरबानी के बिना, ना जान सके इसे कोई,
करे हर कोई इसे पढ़ने की, पर ना पढ़ सके इसे कोई।
खुला कोई नया पन्ना कब और कब बंद हो, ये ना जान सके कोई,
फिर भी जानने की इसे सब करे चतूराई, हैं येह किताब .....
आएगा कब कौन-सा दृश्य आँखो के सामने, इसे जान सके ना कोई,
फिर भी जानने की तसल्ली अपनेआप को देता रहे हर कोई।
कब लाए ये कौन-सा रंग, बस यही ना जान पाए कोई,
कब होगी बंद, जो आज तक रही हैं खुली हैं यह किताब।
है ये किताब कैसी, कि ना पढ़ सके इसे कोई