View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 261 | Date: 27-Jul-19931993-07-271993-07-27करके ठगाई, करे हर कोई सगाई जग मेंSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=karake-thagai-kare-hara-koi-sagai-jaga-memकरके ठगाई, करे हर कोई सगाई जग में,
बीना ठगाई के, ना कोई सगाई जग में।
करके अपनेआप से ठगाई, करे दूसरों से सगाई,
ठगे सब एक दूसरों को तो, यहाँ पर होती खुद की ठगाई।
व्यर्थ पाने के लिये कुछ, चाहे खोना पड़े सबकुछ,
ना लगे उसकी जुदाई जग में, हर कोई करे ऐसी सगाई।
फर्ज से मागे विदाई, जजबात से ना माँगे रिहाई,
देख के अपनी भलाई, करे हर एक सगाई।
स्वार्थ की इस रीत ने, जग में प्रीत सबसे लगाई,
बनी किसी के लिये दर्द, तो किसी के लिये दवाई।
करके ठगाई, करे हर कोई सगाई जग में