View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1690 | Date: 12-Aug-19961996-08-121996-08-12ख्वाब को हकिकत कहूँ या हकिकत को कहूँ मैं ख्वाबSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=khvaba-ko-hakikata-kahum-ya-hakikata-ko-kahum-maim-khvabaख्वाब को हकिकत कहूँ या हकिकत को कहूँ मैं ख्वाब,
उलझन में पड़ गया हूँ मैं, किसे कहु मैं हकिकत और किसे ख्वाब,
है जहाँ प्रभु तू एक ही हकिकत, तू नही है ख्वाब,
पर ख्वाब में आए तू पास मेरे, तो ख्वाब को हकिकत कहूँ।
सुलझा उलझन तू मेरी, कि किसे मैं हकिकत कहु और किसे ख्वाब ?
आता नही है कुछ भी समझ में मेरी, फिर भी नही हूँ मैं उदास,
है पास तू मेरे जहाँ, वही है मेरे लिए तो सच्ची जगह।
क्या लेना मुझे ख्वाब से या हकिकत से, जब तू नही है साथ,
पाऊँ दर्शन जहाँ मैं तेरे, वही है मेरे लिए तो स्वर्ग का एहसास।
रहना हर हाल में पास, तू मेरे दिल की बस यही है एक आस,
ख्वाब भी हकिकत बनजाएँगे, जहाँ होगा तेरा साथ,
कहे दे तू चुपके से मुझे कि कैसी लगी तुझे ये मेरी बात ?
ख्वाब को हकिकत कहूँ या हकिकत को कहूँ मैं ख्वाब