View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 4284 | Date: 16-Oct-20012001-10-162001-10-16महफिले मुस्कुराना सीख लिया है, तन्हाई में मुस्कुराते रहना नहीं आता हैSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=mahaphile-muskurana-sikha-liya-hai-tanhai-mem-muskurate-rahana-nahim-ataमहफिले मुस्कुराना सीख लिया है, तन्हाई में मुस्कुराते रहना नहीं आता है,
लगता है सबको कि नहीं बहते आँसू कभी, पर आँसुओं को पीना नहीं आता है,
क्या कहें हाले दिल जमाने को कि, तुझसे तो ना कुछ छिपा है,
समझा लेते है किसी रुठे हुए दोस्त को पर, खुद को समझना नहीं आता है,
बोलते हैं जमाने से हम तो मीठा मीठा पर खुद से तो रुठे हैं,
परवाह नहीं करते ज्यादा हम किसीकी पर फिक्र से जी छुड़ाना नहीं आता है,
राहे मंज़िल में मुस्कुराते तो है, पर लबों पर फरियादें उभरती रहती हैं,
हँसा देते है किसी रोते हुए चहरे को, पर खुद को हँसा नहीं पाते हैं,
क्या कहें खामोशी की बातें, के लफज़ों को दोहराना नहीं आता है,
कैसे फ़ना हो जिसपर हम को अपने आप का अहसास तोड़ना नहीं आता है ।
महफिले मुस्कुराना सीख लिया है, तन्हाई में मुस्कुराते रहना नहीं आता है