View Hymn (Bhajan)
Hymn No. 1098 | Date: 21-Dec-19941994-12-211994-12-21उलझना चाहे जो उलझनो में, उन्हें कैसे कोई सूलझा सकता हैंSant Sri Apla Mahttps://mydivinelove.org/bhajan/default.aspx?title=ulajana-chahe-jo-ulajano-mem-unhem-kaise-koi-sulaja-sakata-haimउलझना चाहे जो उलझनो में, उन्हें कैसे कोई सूलझा सकता हैं,
ऐसे हाल में वे तो सुलझन को भी उलझन समझते हैं।
करते रहते हैं बात वे अपनी उलझन की, अपनी उलझन में उलझे रहते हैं ।
करते हैं काम ऐसा कि, वह उलझते ही जाते हैं ।
ना करते हैं वे बात उलझन से बहार निकलने की, ना कोशिश करते हैं ।
छोटी-छोटी बातों को दिल में रख कर, मौके वे खोते रहते हैं।
कभी खुदसे खुद ट़कराते हैं, कभी गैरों से झगड़ने वे लगते हैं।
छोड़कर सबकुछ वह हर बात में बहाने ही बहाने ढूँढ़ते हैं ।
सुख से दूर रहकर वह सुख को पाना चाहते हैं ।
ना करे कोई बच्चा भी ऐसी हरकतें वे किए जाते हैं ।
उलझना चाहे जो उलझनो में, उन्हें कैसे कोई सूलझा सकता हैं